फील्ड हॉकी खेल से जुड़ी जानकारियां
फील्ड हॉकी का इतिहास
फील्ड हॉकी एक प्राचीन खेल है जिसकी जड़ें मध्य एशिया में 2000 ईसा पूर्व में खोजी जा सकती हैं। यह खेल भारत और पाकिस्तान में भी सदियों से खेला जाता रहा है। आधुनिक फील्ड हॉकी की शुरुआत 19वीं सदी के मध्य में इंग्लैंड में हुई थी। पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1895 में इंग्लैंड और वेल्स के बीच खेला गया था। 1908 में फील्ड हॉकी को ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था।
फील्ड हॉकी का मैदान
फील्ड हॉकी का मैदान 91.4 मीटर लंबा और 55 मीटर चौड़ा होता है। मैदान घास या कृत्रिम टर्फ से बना होता है। मैदान के प्रत्येक छोर पर एक गोल होता है। गोल एक आयताकार क्षेत्र है जो 3.66 मीटर लंबा और 2.14 मीटर चौड़ा होता है।
फील्ड हॉकी के नियम
फील्ड हॉकी के नियम काफी जटिल हैं। खेल का उद्देश्य विरोधी टीम के गोल में गेंद को मारना होता है। खिलाड़ी गेंद को अपने हॉकी स्टिक से मार सकते हैं, लेकिन वे गेंद को अपने हाथ या पैर से नहीं छू सकते हैं। खेल में कई पेनल्टी होती हैं, जैसे फ्री हिट, पेनल्टी कॉर्नर और पेनल्टी स्ट्रोक।
फील्ड हॉकी के उपकरण
फील्ड हॉकी खेलने के लिए खिलाड़ियों को निम्नलिखित उपकरणों की आवश्यकता होती है:
- हॉकी स्टिक
- हॉकी बॉल
- शिन गार्ड
- माउथगार्ड
- हेलमेट (वैकल्पिक)
फील्ड हॉकी की रणनीति
फील्ड हॉकी एक रणनीतिक खेल है। मैच जीतने के लिए टीमों को अपने हमलों और बचाव की सावधानीपूर्वक योजना बनानी होगी। हमले में, टीमों को विरोधी टीम के गोल पर हमला करने के लिए पासिंग और मूवमेंट का उपयोग करना होगा। बचाव में, टीमों को विरोधी टीम को गोल करने से रोकने के लिए स्थिति और टैकलिंग का उपयोग करना होगा।
फील्ड हॉकी के फायदे
फील्ड हॉकी खेलने के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हृदय स्वास्थ्य में सुधार
- मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति में सुधार
- समन्वय और संतुलन में सुधार
- सामाजिक कौशल में सुधार
- तनाव से राहत
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